Sher-O-Shayari
ऐक मुलाकात
उन्हे देखकर कुछ ऐसा लगा
जेसे जन्नत से आई थी वो,
पल भर मे ही कहाँ छुप गई
शायद हमसे ही शरमाँई थी वो
दोस्ती
इन दुनियाँ कि नज़रों से, मुझे यूँ न देखो
तुम्हे वो चाँद नही, उसका दाग नज़र आयेगा
ऐ मेरे दोस्त, दोस्ती कि नज़र से देख
उस दाग मे भी तुझे, तेरा नाम नज़र आयेगा
Thursday, March 30, 2006
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