जिस गली से गुज़रे हम.....
जिस गली से गुज़रे हम, उस मोड़ पे उनसे मुलाकात हो गयी
कहना चाहते थे हम तो बहुत, पर नज़रो नज़रो मे ही बात हो गयी...
धड़कने बढ़ी तो थी बहुत, और दो दिलो मे भी वो आवाज़ हुई
लब्ज़ तो निकले थे उन होटो पे, पर फिर भी नज़रो से ही बात हुई ....
जिस गली से गुज़रे हम, उस मोड़ पे उनसे मुलाकात हो गयी....
एक चमक थी उनकी आँखों मे, एक मासूमियत थी उनके चेहरे पे
भीड़-भड़क के की उस राह मे, एक नज़ाकत थी उनके चलने मे
हमे देख उनके चेहरे की हवाएँ तो उड़ी उड़ी सी थी...
हमे देख उनके चेहरे की हवाएँ तो उड़ी उड़ी सी थी...
शायद इस मोड़ पर कभी हम ऐसे मिल जाएंगे, इसकी उन्हें उम्मीद न थी...
जिस गली से गुज़रे हम, उस मोड़ पे उनसे मुलाकात हो गयी....
शायद वख्त का वो तकाज़ा था, या हालात की मज़बूरी थी
जिस गली मे था घर उनका, वहीं हमारे दोस्त की हवेली थी
हम तो उसे ढूंडते, आये थे उसी मोड़ पर..
हम तो उसे ढूंडते, आये थे उसी मोड़ पर..
हमे न मालूम था की, वहीं वो भी अकेली थी....
जिस गली से गुज़रे हम, उस मोड़ पे उनसे मुलाकात हो गयी....
क्या आज फिर भी खफ़ा है वो, हमसे हुई उस नादानी पे ?
क्या आज भी उठता है वो सवाल, हमारी इस कहानी पे ...
ज़िन्दगी की इस राह मे हमने गलियां तक बदल दी
ज़िन्दगी की इस राह मे हमने गलियां तक बदल दी
फिर भी मुलाकात हो जाती है, किसी मोड़ किसी सरेराह पे...
जिस गली से गुज़रे हम, उस मोड़ पे उनसे मुलाकात हो गयी....
कहना चाहते थे हम तो बहुत, पर नज़रो नज़रो मे ही बात हो गयी...
After a long time written something very senti :) and it feels good to be back in hindi ;-)
I hope you guys will like it...your comments are expected....
-Shri...
Sunday, February 07, 2010
Monday, February 01, 2010
Sorry Guys... I have moved my Marathi posts to my marathi blog... http://shabdmajhe.wordpress.com
Sarang,Chinmay,Animesh,swapna thanks a lot for your comments. I have placed those in my comments section of that blog...
-Shri...
Sarang,Chinmay,Animesh,swapna thanks a lot for your comments. I have placed those in my comments section of that blog...
-Shri...
Saturday, October 04, 2008
From the heart once again..........
You are very busy with your current life. Everyday since morning you start your day with work and till at the end of the day you are still in work. You try to finish the work and wanted to go home.You eat and sleep and next day you start again. On the weekends you sleep late till noon and then for the whole day you try to go somewhere or watch a movie or do some important household work.And after that in weekday you do the same. This cycle goes again and again. This "you" here is me and there are many like "me" in this world.Ohh god what i am writing !!!!
So life is very boring nowadays. Well its not like that i am not having fun ? I am with my good friends who are always there to help me. Then whats matter ? Why the hell I stopped writing ? does I forgot to create or I didn't have the spark now ? but may be I am not happy from inside. Somewhere in the corner of my heart I feel that. I still remember how beautiful those days of the college where within 2 min used to write 4 beautiful lines which reflects something beautiful and purposeful. I used to read the novels and good books and actually used to eat them sometimes. Well I want those days back again, ohh god help me !!! and I am sure you will.
So to ignite that spark again god has sent a special person. She writes beautifully and purposefully ( which i always like ). She is awesome with her marathi and wonderful with her English. She is good at expressing her mind or thoughts in her words. And I am blessed to have such wonderful sister and more than that a friend in my life. And with that for the first time I tried to write my first ever marathi short story. Lets see whether my experiment works or not...
You are very busy with your current life. Everyday since morning you start your day with work and till at the end of the day you are still in work. You try to finish the work and wanted to go home.You eat and sleep and next day you start again. On the weekends you sleep late till noon and then for the whole day you try to go somewhere or watch a movie or do some important household work.And after that in weekday you do the same. This cycle goes again and again. This "you" here is me and there are many like "me" in this world.Ohh god what i am writing !!!!
So life is very boring nowadays. Well its not like that i am not having fun ? I am with my good friends who are always there to help me. Then whats matter ? Why the hell I stopped writing ? does I forgot to create or I didn't have the spark now ? but may be I am not happy from inside. Somewhere in the corner of my heart I feel that. I still remember how beautiful those days of the college where within 2 min used to write 4 beautiful lines which reflects something beautiful and purposeful. I used to read the novels and good books and actually used to eat them sometimes. Well I want those days back again, ohh god help me !!! and I am sure you will.
So to ignite that spark again god has sent a special person. She writes beautifully and purposefully ( which i always like ). She is awesome with her marathi and wonderful with her English. She is good at expressing her mind or thoughts in her words. And I am blessed to have such wonderful sister and more than that a friend in my life. And with that for the first time I tried to write my first ever marathi short story. Lets see whether my experiment works or not...
Sunday, October 08, 2006
आज के इस दौर मे जिन्दगी झगड रही हैं, जिने के लिये
जैसे रेगिस्तान मे तडपता हैं कोई, एक बूंद पानी के लिये।
जिन्दगी सिर्फ मुश्किलो का ही नही,बल्कि उम्मीदो का भी फसाना हैं
बस एक उम्मीद ही काफी है,जिन्दगी जिने के लिये।।
जैसे रेगिस्तान मे तडपता हैं कोई, एक बूंद पानी के लिये।
जिन्दगी सिर्फ मुश्किलो का ही नही,बल्कि उम्मीदो का भी फसाना हैं
बस एक उम्मीद ही काफी है,जिन्दगी जिने के लिये।।
------------------------------------------
HOPE
A human being can live for
40 days without water
8 minutes without air
But not even 1 second without hope....
Sunday, July 23, 2006
Thursday, June 08, 2006
एक अजीब दास्तान
उन लहरों से जब मैने ये पूछाँ
तुम खुद को क्यूँ इतना तडपाती हों
और इस किनारे पे आकर
वापस क्यूँ चली जाती हों
तो उन लहरों ने मुझसे कहा
इस किनारे कि चाहत ही, मुझे खींच लाती हैं
पर यहाँ आकर मेरी चाहत उस
किनारे के गम मे बदल जाती हैं
उसका वो हसीन नजा़रा
फिर मेरे आगोश मे खो जाता हैं
और उसकी तनहाई का गम
ही मुझे सागर मे वापस ले जाता हैं
हम दोनों कि चाहत की ये अजीब दास्तान हैं
और हमारे मिलन का न कोई रास्ता हैं
इसलिए हर रोज़ मै इस किनारे पे आती हूँ
और इसे महँसूस कर वापस चली जाती हूँ
उन लहरों को सुन, मुझे भी एक बात याद आ गई
उन लहरों से मेरी जिन्दगी भी मेल खा गई
मेरे अपनो की चाहत भी मुझे, उनके पास खींच लाती हैं
और दुसरे ही पल उनकी खुशी के लिए, मुझे वापस ले जाती हैं
हाँ, यही जिन्दगी की अजीब दास्तान हैं
आगे बढने का शायद यहीं रास्ता हैं
अपनो से बिछडने का गम होता है जरुर
पर उस मंजिल की तरफ बढने का यही रास्ता हैं
hello frnds,
This one is very philosophical poem.. and i want to know how many of you understud it exactly.
whats the real feelings behind this poem.Lets see how many of you can think in that way..
you can quote your answers in the comments section..
so plz go for that...
URS--
:"SHRI"KANT":
"------"-------"
उन लहरों से जब मैने ये पूछाँ
तुम खुद को क्यूँ इतना तडपाती हों
और इस किनारे पे आकर
वापस क्यूँ चली जाती हों
तो उन लहरों ने मुझसे कहा
इस किनारे कि चाहत ही, मुझे खींच लाती हैं
पर यहाँ आकर मेरी चाहत उस
किनारे के गम मे बदल जाती हैं
उसका वो हसीन नजा़रा
फिर मेरे आगोश मे खो जाता हैं
और उसकी तनहाई का गम
ही मुझे सागर मे वापस ले जाता हैं
हम दोनों कि चाहत की ये अजीब दास्तान हैं
और हमारे मिलन का न कोई रास्ता हैं
इसलिए हर रोज़ मै इस किनारे पे आती हूँ
और इसे महँसूस कर वापस चली जाती हूँ
उन लहरों को सुन, मुझे भी एक बात याद आ गई
उन लहरों से मेरी जिन्दगी भी मेल खा गई
मेरे अपनो की चाहत भी मुझे, उनके पास खींच लाती हैं
और दुसरे ही पल उनकी खुशी के लिए, मुझे वापस ले जाती हैं
हाँ, यही जिन्दगी की अजीब दास्तान हैं
आगे बढने का शायद यहीं रास्ता हैं
अपनो से बिछडने का गम होता है जरुर
पर उस मंजिल की तरफ बढने का यही रास्ता हैं
hello frnds,
This one is very philosophical poem.. and i want to know how many of you understud it exactly.
whats the real feelings behind this poem.Lets see how many of you can think in that way..
you can quote your answers in the comments section..
so plz go for that...
URS--
:"SHRI"KANT":
"------"-------"
Sunday, May 28, 2006
ऐ मेरे चाँद
क्यूँ खफा हैं आज चाँद मेरा
ये उन सितारों को भी मालूम नहीं
क्यूँ रुठा हैं आज इस शाम
ये उन नजा़रों को भी मालूम नहीं
ऐ चाँद तुझे तेरी चाँदनी की कसम
पलको को तो उठा ज़रा
इस हसीन रंगीन शाम
तेरा यार कबसे पीछे खडा
तेरे उन शरबती होंठो की कसम
आज कसूर मेरा न था
तेरी याँद मे ये वक्त कैसे गुज़र गया
ये मझे अबतक मालूम न था
उन झील सी आँखो से हमे यूँ न देख
फिर खो जाने का डर लगता हैं
तेरी उस मासूमियत को हमारी
नज़र लग जाने का डर लगता हैं
ऐ चाँद हमे अपनी बाँहो मे ले ले
अपनी रेश्मी झुलफो के साये मे ले ले
उन मखमली होंठो से तो छू दे
उस नरम मुलायम आगोश मे ले ले
तेरी उन नरगीसी आँखो को चूम कर
तेरी उन शरबती होंठो को पीकर
तेरे उस शरमाने की नजा़कत को देखकर
आज हम मर भी जाऎं, तो हमे गम नहीं
तेरी उन सांसों की गरमी को छू कर
तेरी उन हाथो की नरमी को छू कर
तेरी उन ठंडीसी आहों को भर कर
आज हम मर भी जाऎं, तो हमे गम नहीं
ऐ मेरे चाँद तुझे मेरी कसम
इस दुनिया के उजालो मे कभी खो न जाना
ऐ मेरे चाँद तुझे मेरी कसम
इस दुनिया कि तनहाईयों मे हमे छोड न जाना
ऐ मेरे चाँद खुदा की कसम
तेरी रुह से पहले मेरी जान निकल जाऐ
ऐ मेरे चाँद खुदा की कसम
तेरी फूरकत मे हम कभी शामिल ना हो पायें
ऐ मेरे चाँद तेरी मोहब्बत ही मेरी जिन्दगी हैं
ऐ मेरे चाँद तेरा एहसास ही मेरी दिल्लगी हैं
ऐ मेरे चाँद ये मेरी मोहब्बत,मोहब्बत नहीं
शायद उस खुदा की ही बंदगी हैं,शायद उस खुदा की ही बंदगी हैं...
hello frnds,
This is my first ever romantic poem of my life.i tried hard...lets see u like it or not.Love is beautiful and u can understand it when u r in love.It dosen't matter whether u r in love with u r parents,frnds or grfrnd.but love is love.
Let me tell you abt this beautiful and romantic poem.It's in three phases.
1) how late boyfrnd convinces his grfrnd
2) how he expresses the beauty with his love
3) how important tht person's love in his life
So my dear frnds...if your are late try this poem on your beloved person.And i am sure it will work.And dont forget to tell me ki ---आप के चाँद ने क्या कहा ...
..bcoz मैं तो अभी भी अपने चाँद को उस आसमान मे ढूँढ रहा हूँ.. :-(
लेकिन क्या करे दिखाई नहीं देता और भगवान करे वो जब भी दिखे, वो ईद का चाँद हो.. ;-)
क्यूँ खफा हैं आज चाँद मेरा
ये उन सितारों को भी मालूम नहीं
क्यूँ रुठा हैं आज इस शाम
ये उन नजा़रों को भी मालूम नहीं
ऐ चाँद तुझे तेरी चाँदनी की कसम
पलको को तो उठा ज़रा
इस हसीन रंगीन शाम
तेरा यार कबसे पीछे खडा
तेरे उन शरबती होंठो की कसम
आज कसूर मेरा न था
तेरी याँद मे ये वक्त कैसे गुज़र गया
ये मझे अबतक मालूम न था
उन झील सी आँखो से हमे यूँ न देख
फिर खो जाने का डर लगता हैं
तेरी उस मासूमियत को हमारी
नज़र लग जाने का डर लगता हैं
ऐ चाँद हमे अपनी बाँहो मे ले ले
अपनी रेश्मी झुलफो के साये मे ले ले
उन मखमली होंठो से तो छू दे
उस नरम मुलायम आगोश मे ले ले
तेरी उन नरगीसी आँखो को चूम कर
तेरी उन शरबती होंठो को पीकर
तेरे उस शरमाने की नजा़कत को देखकर
आज हम मर भी जाऎं, तो हमे गम नहीं
तेरी उन सांसों की गरमी को छू कर
तेरी उन हाथो की नरमी को छू कर
तेरी उन ठंडीसी आहों को भर कर
आज हम मर भी जाऎं, तो हमे गम नहीं
ऐ मेरे चाँद तुझे मेरी कसम
इस दुनिया के उजालो मे कभी खो न जाना
ऐ मेरे चाँद तुझे मेरी कसम
इस दुनिया कि तनहाईयों मे हमे छोड न जाना
ऐ मेरे चाँद खुदा की कसम
तेरी रुह से पहले मेरी जान निकल जाऐ
ऐ मेरे चाँद खुदा की कसम
तेरी फूरकत मे हम कभी शामिल ना हो पायें
ऐ मेरे चाँद तेरी मोहब्बत ही मेरी जिन्दगी हैं
ऐ मेरे चाँद तेरा एहसास ही मेरी दिल्लगी हैं
ऐ मेरे चाँद ये मेरी मोहब्बत,मोहब्बत नहीं
शायद उस खुदा की ही बंदगी हैं,शायद उस खुदा की ही बंदगी हैं...
hello frnds,
This is my first ever romantic poem of my life.i tried hard...lets see u like it or not.Love is beautiful and u can understand it when u r in love.It dosen't matter whether u r in love with u r parents,frnds or grfrnd.but love is love.
Let me tell you abt this beautiful and romantic poem.It's in three phases.
1) how late boyfrnd convinces his grfrnd
2) how he expresses the beauty with his love
3) how important tht person's love in his life
So my dear frnds...if your are late try this poem on your beloved person.And i am sure it will work.And dont forget to tell me ki ---आप के चाँद ने क्या कहा ...
..bcoz मैं तो अभी भी अपने चाँद को उस आसमान मे ढूँढ रहा हूँ.. :-(
लेकिन क्या करे दिखाई नहीं देता और भगवान करे वो जब भी दिखे, वो ईद का चाँद हो.. ;-)
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