Sher-O-Shayari
तेरी कामियाबी
ऐ मेरे दोस्त, तुझसे मिलने कि आरज़ू मे
हम बैठे थे रात दिन..............
शायद तेरी तन्हाई पर वो खुदा भी मजबूर था
कितनी शिदतो के बाद मिले हैं आज हम
शायद तेरी कामियाबी का जशन् ही उसे मंजूर था
Sunday, April 02, 2006
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