Sunday, April 02, 2006

Sher-O-Shayari

तेरी कामियाबी

ऐ मेरे दोस्त, तुझसे मिलने कि आरज़ू मे
हम बैठे थे रात दिन..............
शायद तेरी तन्हाई पर वो खुदा भी मजबूर था
कितनी शिदतो के बाद मिले हैं आज हम
शायद तेरी कामियाबी का जशन् ही उसे मंजूर था

No comments: